KISAN/FARMERS SHAYRI,QUOTES AND STATUS IN HINDI:-
देश की आबादी का बड़ा हिस्सा गावों में रहता है और खेती ही उसकी आजीविका का साधन है। लेकिन अब वह मौसम का मार झेल रहा है। रोज़मर्रा की ज़रूरतों ने किसानो को इस कदर मजबूर किया है कि लोग शहरों की तरफ भी भागे चले जा रहे हैं। किसानों पर राजनीति तो सभी दल करते हैं लेकिन हर सरकार में वो पीड़ित रहता है। गांव से शहर किसान जिस उम्मीद में आता हैं वो तो नहीं मिलता लेकिन उपेक्षा ज़रूर मिलती है। पेश है ग्रामीण जीवन और खेती-किसानी पर कुछ चुनिंदा शेर:-

ऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे दे,
अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे,
अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे,
किसानो से अब कहाँ वो मुलाकात करते हैं,
बस ऱोज नये ख्वाबो की बात करते हैं..
बस ऱोज नये ख्वाबो की बात करते हैं..
एक बार आकर देख कैसा, ह्रदय विदारक मंजर हैं,
पसलियों से लग गयी हैं आंते, खेत अभी भी बंजर हैं.
पसलियों से लग गयी हैं आंते, खेत अभी भी बंजर हैं.
मत मारो गोलियो से मुझे मैं पहले से एक दुखी इंसान हूँ,
मेरी मौत कि वजह यही हैं कि मैं पेशे से एक किसान हूँ.
मेरी मौत कि वजह यही हैं कि मैं पेशे से एक किसान हूँ.
किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी.
लोग कहते हैं बेटी को मार डालोगे,तो बहू कहाँ से पाओगे?
जरा सोचो किसान को मार डालोगे, तो रोटी कहाँ से लाओगे?
जरा सोचो किसान को मार डालोगे, तो रोटी कहाँ से लाओगे?
मर रहा सीमा पर जवान और खेतों में किसान,
कैसे कह दूँ इस दुखी मन से कि मेरा भारत महान.
कैसे कह दूँ इस दुखी मन से कि मेरा भारत महान.
जिसकी आँखो के आगे,किसान पेड़ पे झूल गया,
देख आईना तू भी बन्दे,कल जो किया वो भूल गया.
देख आईना तू भी बन्दे,कल जो किया वो भूल गया.
ये सिलसिला क्या यूँ ही चलता रहेगा,
सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा.
सियासत अपनी चालों से कब तक किसान को छलता रहेगा.
कोई परेशान हैं सास-बहू के रिश्तो में,
किसान परेशान हैं कर्ज की किश्तों में
किसान परेशान हैं कर्ज की किश्तों में
शुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगे,
चुल्लू भर पानी के लिए खुदा दे दुआँ करेंगे.
चुल्लू भर पानी के लिए खुदा दे दुआँ करेंगे.
दीवार क्या गिरी किसान के कच्चे मकान की,
नेताओ ने उसके आँगन में रस्ता बन दिया.
नेताओ ने उसके आँगन में रस्ता बन दिया.
ये मौसम भी कितनी बेईमान हैं,
बारिश न होने की वजह से मरा इक किसान हैं.
बारिश न होने की वजह से मरा इक किसान हैं.
कितने अजब रंग समेटे हैं, ये बेमौसम बारिश खुद में,
अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा हैं तो किसान जहर…
अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा हैं तो किसान जहर…
चीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ…
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ…
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ…
क्या दिखा नही वो खून तुम्हें,
जहाँ धरती पुत्र का अंत हुआ,
सच को ये सच नही मान रहा,
लो आँखों से अँधा भक्त हुआ.
जहाँ धरती पुत्र का अंत हुआ,
सच को ये सच नही मान रहा,
लो आँखों से अँधा भक्त हुआ.
ज़िन्दगी के नगमे कुछ यूँ गाता,
मेहनत मजदूरी करके खाता,
सद्बुद्धि सबको दो दाता,
हम है, अगर हैं अन्नदाता
मेहनत मजदूरी करके खाता,
सद्बुद्धि सबको दो दाता,
हम है, अगर हैं अन्नदाता
भगवान का सौदा करता हैं,
इंसान की क़ीमत क्या जाने?
जो “धान” की क़ीमत दे न सके,
वो “जान ” की क़ीमत क्या जाने।
इंसान की क़ीमत क्या जाने?
जो “धान” की क़ीमत दे न सके,
वो “जान ” की क़ीमत क्या जाने।
उन घरो में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं,
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं.
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं.
छत टपकती हैं उसके कच्चे मकान की,
फिर भी “बारिश” हो जाये, तमन्ना हैं किसान की
फिर भी “बारिश” हो जाये, तमन्ना हैं किसान की
बढ़ रही हैं कीमते अनाज की,
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की.
पर हो न सकी विदा बेटी किसान की.
परिश्रम की मिशाल हैं, जिस पर कर्जो के निशान हैं,
घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं.
घर चलाने में खुद को मिटा दिया, और कोई नही वह किसान हैं.
नही हुआ हैं अभी सवेरा, पूरब की लाली पहचान,
चिडियों के उठने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान.
चिडियों के उठने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान.
कहाँ छुपा के रख दूँ मैं अपने हिस्से की शराफ़त,
जिधर भी देखता हूँ उधर बेईमान खड़े हैं,
क्या खूब तरक्की कर रहा हैं अब देश देखिये,
खेतो में बिल्डर और सड़को पर किसान खड़े हैं.
जिधर भी देखता हूँ उधर बेईमान खड़े हैं,
क्या खूब तरक्की कर रहा हैं अब देश देखिये,
खेतो में बिल्डर और सड़को पर किसान खड़े हैं.
मैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून पर
निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर.
निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर.
किसान की समस्या खत्म नही होती,
नेताओ के पास पैकेज अस्सी हैं,
अंत में समस्या खत्म करने के लिए,
किसान चुनता रस्सी हैं.
नेताओ के पास पैकेज अस्सी हैं,
अंत में समस्या खत्म करने के लिए,
किसान चुनता रस्सी हैं.
फूल खिला दे शाखों पर, पेड़ों को फल दे मालिक,
धरती जितनी प्यासी हैं उतना तो जल दे मालिक.
धरती जितनी प्यासी हैं उतना तो जल दे मालिक.
क्यों ना सजा दी पेड़ काटने वाले शैतान को
खुदा तूने सजा दे दी सीधे-साधे किसान को.
खुदा तूने सजा दे दी सीधे-साधे किसान को.
अन्य महत्वपूर्ण बातें :-
अगर आपको ये वेबसाइट अच्छी, दमदार, मस्त लगे तो इसे Bookmark करे
कमेंट बॉक्स में अपने दिल की बात जरूर लिखे ।
यह साइट देखने के लिए धन्यवाद् , आपका यहाँ फिर इंतज़ार रहेगा .
चेतावनी :- इस वेबसाइट से बिना अनुमती के इसकी सामग्री अन्य वेबसाइट/ब्लॊग में नहीं लगाए, वरना चोर वेबसाइट को डिलीट/हैक/क़ानूनी शिकायत कर दी जाएगी या जुर्माना लगाया जायेगा ।
1 Comments
Bus kr pagle rulayega kya....👌👌👌👌👌🙏🙏🙏👌🙏👌🙏👌🙏👌👌🙏🙏👏👏👏🙌💞💞💞💞💞💞♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️❤️❤️❤️❤️🧡🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🧡❤️🇮🇳❤️🇮🇳❤️🇮🇳❤️🇮🇳❤️❤️👌👌❤️👌👌🧡❤️👌🙏❤️❤️🙏🙏❤️🙏❤️😭😭😭😭😭😭
ReplyDelete