ख़त पर शायरी - Khat Par Shayari in Hindi

ख़त पर शायरी - Khat Par Shayari in Hindi:-



 नमस्कार दोस्तों आपका हमारे नए पोस्ट में स्वागत है, आज के हमारे इस पोस्ट में आपको मिलेगे top 100+ खत शायरी जिन्हें पढ़कर आपको मजा आ जायेगा ! यदि आपको ये पसंद आये तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिये !


                       -अमन सिंह(अजनबी राॅयल)




वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
उदास करती हैं मुझ को निशानियाँ तेरी।



रूह घबराई हुई फिरती है मेरी लाश पर
 क्या जनाज़े पर मेरे ✒  ख़त का जवाब आने को है।




मै देखता रहा उस ✒  खत को बार बार,
 बड़े उमीन्द से उसने "आपकी " लिखा होगा।




ग़ैर को ✒  ख़त लिखा उस पे पता मेरा रखा
 हंस के आईने से कहा ’राॅयल’ ज़िंदा है अभी।




मुद्दत के बाद✒ ख़त आया जो इज़हार-ए-मोह्हबत का,
बैरन अँखियों ने बिन पढ़े भिगो हर लफ़्ज मिटा दिये।





हसरतें आज भी ✒  खत लिखती हैं मुझे, 
 पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता।




मेरे  ✒  ख़त यूँ सरेआम जलाया ना करो,
 राख से भी आती हैँ ख़ुशबू मेरी मोहब्बत की।




जब प्यार नहीं है तो भुला क्यूँ नहीं देते
 ✒  ख़त किस लिए रक्खे हैं जला क्यूँ नहीं देते।




 मैंने  ✒  खत को देखा और रख दिया बिना पढ़े हुए,
 मैं जानती हूँ की उसमें भूल जाने का मशवरा होगा।





कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'राॅयल'
 उन के ✒  ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले।




पहली बार वो ✒ ख़त लिखा था
 जिस का जवाब भी आ सकता था।



उनके ✒  ख़त की आरज़ू है उनकी आमद का ख़याल
 किस क़दर फैला हुआ है कारोबार ए इंतज़ार।



इक ✒  ख़त लिखा था बादलों को
 भीगा भीगा जवाब आया अभी।




फिर एक बे-नाम ✒  ख़त आया है मेरे नाम,
 फिर कागज़ में उसकी तस्वीर उभर आई है।




वो एक ✒  ख़त जो उसने कभी लिखा ही नहीं,
 मैं रोज़ बैठ कर उस का जवाब लिखता हूँ।




तेरे ✒  ख़त में इश्क की गवाही आज भी है,
 हर्फ़ धुंधले हो गए पर स्याही आज भी है।




वो अनपढ़ था फिर भी उसने पढ़े लिखे लोगों से कहा
 एक तस्वीर कई  ✒  ख़त भी हैं साहब आप की रद्दी में।





लिखा है अपने नाम से अपने पते पर ✒  खत,
 मुद्दत के बाद अपनी खबर चाहती हूँ मैं।





 माँ ने अपने दर्द भरे ✒  खत में लिखा,
 सड़के पक्की है अब तो गाँव आया कर।





मैंने उस की तरफ़ से ✒  ख़त लिक्खा
 और अपने पते पे भेज दिया।





अंधेरा है कैसे तिरा ✒  ख़त पढ़ूँ
 लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे।




कोई पुराना ✒  ख़त कुछ भूली-बिसरी याद
 ज़ख़्मों पर वो लम्हे मरहम होते हैं।




वो भी शायद रो पड़े वीरान काग़ज़ देख कर
 मैंने उस को आख़री ✒  ख़त में लिखा कुछ नहीं था।

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